उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम 1901 की धारा-41 के अन्तर्गत निजी सीमा विवाद के निपटारे के लिए प्रक्रिया एवं आवश्यक अभिलेखः-
Step 1. सीमांकन हेतु आवेदन पत्र के साथ नक्शे एवं खसरे की सत्यापित प्रति संलग्न करनी आवश्यक होगी जिसके आधार पर सीमांकन अपेक्षित हो।
Step 2. आवदेन पत्र प्राप्त होने पर न्यायालय, तहसीलदार के माध्यम से राजस्व निरीक्षक को पास प्रारंभिक आख्या हेतु भेजेगा।
Step 3. राजस्व निरीक्षक अपनी प्रारंभिक आख्या में विवाद की प्रकृति, निश्चयात्मक बिन्दुओं का उल्लेख करेगा। यदि सर्वे आवश्यक हो तो वह नापे जाने वाला क्षेत्रफल, अनुमानित समय भी बताएगा।
Step 4. राजस्व निरीक्षक की आख्या के आधार पर न्यायालय निश्चित करेगा कि स्थानीय जाँच (सर्वे अथवा बिना सर्वे) के आवश्यक है अथवा नहीं और जांच किसके द्वारा की जानी है। (राजस्व निरीक्षक अथवा कोई उच्चतर अधिकारी अथवा लेखपाल आदि)।
Step 5. न्यायालय आवेदक को आवश्यक फीस और अन्य खर्चे (स्टेशनरी, ट्रेसिंग कपड़ा आदि) जमा कराने हेतु निर्देशित करेगा। फीस जमा होने के बाद न्यायालय नियत अधिकारी से सीमांकन कार्य पूर्ण करवाएगा।
Step 6. कलेक्टर आवेदकों को आवश्यक सीमा चिन्ह शुल्क पर उपलब्ध करवाने की व्यवस्था करेगा। पक्षों द्वारा सीमा चिन्ह उपलब्ध न करवाने की दशा में धारा-29 के अन्तर्गत कार्यवाही कर शुल्क संबंधित पक्षों में नियमानुसार विभाजित करेगा। (धारा 208)।
Step 7. सीमांकन के उपरान्त संबंधित पक्षों को आपत्ति योजित करने का अवसर दिया जाएगा, जिसके उपरान्त न्यायालय सुनवाई कर सीमांकन को अंतिम किया जाएगा अथवा अन्य आदेश पारित किया जाएगा।